पिस्टनयुक्त अथवा बेलनदार प्रत्यागमनी (रेसिप्रोकेटिंग) और धुरे पर लगी पंखुड़ीयुक्त घूमनेवाली उन सब मशीनों को जलचालित मशीनें (Hydraulic machines) कहते हैं जो उच्च दाब के जल के माध्यम से बड़ी ही मंद गति से चलती हैं। मंद गति से चलने के कारण इनकी चाल पर बड़ी सरलता से सही सही नियंत्रण रखा जा सकता है।
हविस तथा लिफ्ट (Hoists and lifts), क्रेन और जैक (Cranes and Jacks), गढ़ाई का दाब यंत्र, गढ़ाई प्रेस (Forging Press), रिबेट (Rivet) प्रेस, छेद करने (punching) और प्लेट मोड़ने के जलचालित यंत्र, परीक्षण यंत्र (Testing machines), जल शक्ति चालित इतस्ततोगामी इंजन (reciprocating engine) एवं अन्य बहुत से यंत्र जलचालित बनाये जाते हैं।
सभी जलचालित यंत्रों का सिद्धांत एक है और वह है पास्कल का सिद्धान्त। हाइड्रालिक प्रेस एवं अन्य जलचालित मशीने इसी सिद्धान्त पर चलतीं हैं।
बंदरगाह में समुद्री पानी के कई टन भारवाले दरवाजों को, जिनपर समुद्री पानी का भी अमित दबाव पड़ता है, खोलने और बंद करने के लिये पिस्टन बेलन युक्त यंत्रों का प्रयोग होता है। इन बेलनों की चाल 12-13 फुट तक होती है। समुद्री पानी और बड़े बड़े बाँधों के स्लूइस वाल्व (sluice valve) भी, जिनका व्यास लगभग 60 इंच तक होता है, इन्हीं यंत्रों द्वारा खोले तथा बंद किए जाते हैं। इन यंत्रों की बनावट क्रेन यंत्रों के सिलिंडर और बेलनों से बहुत साम्य रखती है। स्टेशनों पर रेलगाड़ियों को प्लैटफार्मों के अंत में टक्कर लगाने से रोकने के बफर (buffer), रेल के इंजनों की मरम्मत करते समय उनके चक्वों को उतारने और चढ़ाने के लिये तथा कई प्रकार के ब्रेक भी इन्हीं सिद्धांतों पर बने होते हैं। इंजनों का परिक्षण करने के लिये डाइनेमोमीटर के कुछ यंत्र भी जल या तेल की दाब शक्ति से अपना काम करते हैं, जिससे पता चलता रहता है कि किसी विशेष समय पर इंजन कितना खिंचाव प्रस्तुत कर रहा है। इंजनों ओर रेलगाड़ियों के चक्कों में, उनके धुरों को मजबूती से दबाकर बैठाने के लिये भी, जलशक्ति-चालित प्रेसों का प्रयोग किया जाता है।